लेखनी कहानी -14-Nov-2022# यादों के झरोखों से # मेरी यादों की सखी डायरी के साथ
प्रिय सखी।
कैसी हो ।आज मैं तुम्हें मेरे भतीजे के जन्मदिन पर क्या हुआ यह बता रही हूं।सच में सखी औरत यहीं आकर टूट जाती है। जब उसे ससुराल और मायके में से एक को चुनना होता है आखिरकार जीत ससुराल की ही होती है। अब देखो मेरे साथ क्या घटित हुआ इसका वर्णन सुनो।
हम उदास है आज । तुम्हें बताया था ना मायके जाने का प्रोग्राम था हमारा आज सोचा था दो दिन मायके लगा कर सोमवार को वापस आ जाएं गे।पर क्या करें हमारी किस्मत ही ऐसी है । भतीजे का जन्मदिन है और बड़ा समारोह होगा। हनुमान जी की चौकी रखी है।और हमारे पतिदेव को तभी बीमार होना होता है जब हमे मायके जाना हो।अभी तक तो ये कह रहे थे कि तुम चली जाओ गी तो मेरे खाने का क्या होगा।हमने कहा एक आध दिन की तो बात है कभी चावल तो कभी बाहर से मंगवा लेना।पर हाय रे हमारे पतिदेव का पेट जो सौतन बनकर हमारे और हमारे मायके जाने के बीच आकर खड़ा हो गया।हम ने जैसे तैसे टिफिन का इंतजाम किया तो आज पतिदेव कहने लगे तुम मत जाओ मुझे जुकाम जैसा लग रहा है ।मतलब साम दाम दण्ड भेद करके मुझे मायके नही जाने दिया।मन कर रहा है उड़ कर चली जाऊं मायके भतीजे को ढेर सारी शुभकामनाएं और आशीर्वाद दे आऊ ।यही आ कर एक औरत हार जाती है ।एक औरत के लिए जितना जरूरी ससुराल होता है उतना ही जरूरी मायका भी होता है लेकिन कुछ लोग ऐसे होते है वो यही चाहते है मेरा और मेरे परिवार का ही करती रहे। भाड़ मे जाये मायके वाले। अरे वो लोग ये नही सोचते कि कल को हमारी बेटियों को उनके ससुराल वाले नही भेजे गे जब हमारे यहां समारोह होगा तो हमे कैसा लगेगा।तुम जैसा अपनी बहूओ और पत्नियों के साथ करोंगे वैसा ही तुम्हारी बेटियों के साथ होगा तो कैसा लगेगा।बस सखी और नही लिखा जा रहा मन रोने को कर रहा है ।अब चलती हूं अलविदा।
Sachin dev
15-Dec-2022 06:12 PM
बहुत ही बेहतरीन प्रस्तुति
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Mohammed urooj khan
14-Dec-2022 10:50 PM
समझ नही आ रहा क्या लिखू निशब्द हूँ आपकी व्यथा पढ़ कर
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